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हवा

सुन जरा, तू गौर कर
वो हवा नहीं, आवाज है
बढ़ती हुई तकलीफ नहीं
एक प्यारा सा एहसास है।

जिसका साथ तू छोड़ बैठा है
वो तेरा हाथ पकड़ना चाहती है
ये जिंदगी है तेरी
इससे दूर क्यों भागना चाहता है।

बार बार तू गिरता रहा
हर वक़्त तुझे उठती रही
उसी को तू कोसता रहा
जो हर पल तुझे फुसलाती रही।

तू हारेगा, तू रोएगा
वो चीख चीख कर कहेगी
वो जिंदगी है तेरी
बिना सिखाए नहीं जाएगी।